❣️सर्व शक्तिमान दिल?❣️

 

                      ❣️सर्व शक्तिमान दिल❣️


शरीर विज्ञान में सबसे जटिल कार्य- कलाप मुझे दिल का जान पडता है। सबसे बडी जिम्मेदारी दिल को दी गयी है हमारे इस भौतिक शरीर मे। कोई विपत्ति आते देखकर यह जोरों से धडकने लगता है ।

जब वियोग उत्पन्न हो तो यही दिल विरह वेदना मे तडपता भी है और तब हम कहते हैं कि अमुक के बगैर दिल लगता नहीं ।

जब प्रेम-प्यार के बिषय की बात हो तो इस दिल का कार्य और बढ जाता है, बल्कि अगर ये कहें कि इस विषय की सारी जिम्मेदारी ही दिल सम्भालता है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। जब प्रेमी- प्रेमिका मिलते हैं तो उनके बीच जो लेन- देन होता है वो कुछ और नही दिल ही होता है॥ वो एक दूसरे का दिल ले लेते हैं, कैसे? मुझे नही पता ।

अगर प्रेम सम्बन्ध बिच्छेद होता है तो टूटना भी आखिर मे दिल को ही पडता है।

दिल एक मन्दिर भी है।

दिल एक घर भी है, कहते हैं इसमे बाकायदा रहा भी जा सकता है, कैसे? नही मालूम ।

साहित्यकारों , नाटककारों, गीतकारों, कहानीकारों आदि ने दिल के सम्बन्ध मे खूब लिखा है, पर शायद ये किसी ने नही लिखा की ये सारी जिम्मेवारी दिल को ही क्यूँ है।

दिल रोता भी है, दिल हँसता भी है ।

दिल एक खिलौना भी है , 

और हाँ बडे मजे की बात तो ए है कि किसी किसी को दिल होता ही नही है।

किसी किसी का दिल पत्थर का होता है।

किसी का दिल दरिया होता है ।

किसी - किसी के दिल में तो आग भी होती है ।

दिल रोता है।

दिल हँसता है।

दिल गाता है ।

दिल के अरमान भी होते हैं।

दिल एक खिलौना भी है ।

किसी का बडा दिल होता है तो किसी का छोटा ।

दिल का करार भी होता है।

दिल नासाज भी होता है ।

दिल मे प्यार भी पलता है, और नफरत भी।

दिल डूबना भी जानता है, और तैरना भी ।

दिल खो भी जाता है ।

दिल पसीजता भी है और नही भी ।

दिल टूटता भी है और जुडना भी जानता है।

दिल नादान भी होता है।

दिल की अपनी बात होती है ।

दिल बातें भी करना जानता है ।

दिल खो भी जाता है, और मिल भी ।

किसी - किसी का दिल आवारा होता है ।

और किसी का तो पागल भी।

दिल की अपनी कहानी होती है जो कि उसी की जुबानी व्यक्त भी होती है ।

दिल भँवरा है। दिल सैदाई है ।

दिल दीवाना भी होता है ।

दिल मे तमन्नाएँ भी पलती हैं । और आरजू भी ।

दिल की कली भी होती है और फूल भी ।

दिल निकम्मा भी होता है।

किसी- किसी का दिल बेईमान भी होता है।

दिल फरियाद भी करता है, दिल याद भी करना जानता है और भुलाना भी ।

इसी मे प्यार भी पलता है और नफरत भी।

क्या है ए दिल ???

और इतना सारा काम अकेले कैसे कर लेता है ??

दिल बोझ भी उठाता है,  गमो को भी  ।

किसी - किसी का दिल हलका होता है।

कौन सी बला है ए दिल ????


शारीरिक क्रियाकलापों के इतर वाह्य जिम्मेदारियों का भार भी दिल पर॥ 

क्या ए सर्वशक्तिमान नहीं लगता ??

क्या इसका काम चमत्कारी नहीं है ??


मुझे तो लगता है, इसीलिए मैने इसे नाम दिया है --सर्वशक्तिमान दिल ॥


दिल के बारे मे और भी विचार आमन्त्रित हैं -- आप क्या कहते हैं ????

                               

                         कश्यप-- १९-०१-२०१३ 


                            Acharya Kashyap

                  पं0 सतीश चन्द्र पाण्डेय "काशी" वाराणसी

                 https://www.youtube.com/c/AcharyaKashyap

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